जुड़ें परस्पर हाथ यदि तो समग्र जग में हो विकास। जुड़ें परस्पर हाथ यदि तो समग्र जग में हो विकास।
चलती नव -सजनृ की पुरवाई छू रही है, मुक्त गगन को लेकिन चरण कहां रुक पातें ? चलती नव -सजनृ की पुरवाई छू रही है, मुक्त गगन को लेकिन चरण कहां रुक पा...
वहाँ अंत में गहरी खाई है। वहाँ अंत में गहरी खाई है।
मिलकर रहने से बढ़ती है खुशी खत्म होती है, तनहाई मिलकर रहने से बढ़ती है खुशी खत्म होती है, तनहाई
ये कैसी आज़ादी है ! जहाँ सत्तर साल बाद भी गावों में हमारे, नहीं पहुँच पाया बिजली और पानी है ? ये कैसी आज़ादी है ! जहाँ सत्तर साल बाद भी गावों में हमारे, नहीं पहुँच पाया...
माना हमने, देश बड़ा है, और हजारों मसले हैं। माना हमने, देश बड़ा है, और हजारों मसले हैं।